जब-जब मांगा देश ने (कविता )

जब-जब मांगा देश ने


 


सुख छोड़ा संसार का, दिए देश हित प्राण।


युग-युग तक होंगे अगर ऐसे वीर महान्।I


जब-जब मांगा देश ने, रक्षा हित बलिदान।


तब-तब हंस कर दिये, वीरों ने निज प्राण।।


 भारत के इतिहास ने, पायी नयी सुवास


स्मृति में है आज भी, अगणित वीर सुभाष।।


देहों के अरविन्द में हुए भ्रमर मन बंद।


 मनमानी करने लगे, तब से भौतिक छंद।।


आँखें निर्वसना हुई, दृष्टि हुई बेशर्म।


जीवन केवल रह गया, चाय उबलती गर्म।।


धुप्प अंधेरी गुफा में, लौटे हुए प्रणाम्।


चुभने लगे प्रकाश के, दिल में आठों याम।।


जो भी आया दे गया, अपने नये विचार।


मासिक था जो आदमी, अब दैनिक अखबार।।